शनिवार, 30 मई 2020

ये शतरंज की बिसात है।

ये शतरंज की बिसात है ।


ये किसी इंसान के बस की बात नहीं
यहां बस चलता रीति रिवाज है
ख्वाब पूरे ना होने पर, हम होते उदास है
फिर भी मुस्कुराते हुए, रखते उसी पर आस हैं
चुकी ये शतरंज की बिसात है ।

जानता हूं जीत पक्की नहीं , मेरी
फिर भी मुझको विश्वास है
अगर कभी हार भी गया तो
मानलूंगा जो हुआ होने दो
क्योंकि, ये तो सिर्फ शतरंज की बिसात है ।

यहां धर्म, प्यार ,पूजा है
बस यही हमारे पास है
फिर से कोशिश कर , बदलना अपना इतिहास है
क्योंकि, ये मुझे मालूम है
ये शतरंज की बिसात है ।

अच्छे बुरे की पहचान में
समय का करना नहीं नाश है
काम सभी करने मुझे झकास है
फल की चिंता छोड़ कर जीना, आज है
क्योंकि मुझे मालूम है,  ये शतरंज की बिसात है ।
ये शतरंज की बिसात है ।।
Arjuna Bunty.


सीखिए।

सीखिए।


लम्हों में खुद को बांटना
और
हर लम्हों में मुस्कुराना
सीखिए ।

हर खुशी आपकी है
बस आप
उसे
पाना सीखिए।

वक्त गर आजमाता है
आपको
तो आप वक्त को आजमाना
सीखिए।

हर लम्हा उबाऊ सही
उस लम्हे को खुशी से सजाना
सीखिए।

क्या हुआ जो कुछ कमी रही
हर कमी में खुद को
संपूर्ण बनाना
सीखिए।

औकात बनती नहीं चार आनों से
उसे अपने हुनर से बनाना
सीखिए।

कई लोग हैं आपके चाहने वाले
उनको अपनी याद दिलाना
सीखिए।

एक बार खुद के लिए खुलकर जीना
और
दूसरों को जिंदादिल बनाना
सीखिए।

अपने अनुभव से जग को
लुभाना
खुद में खुद को एक सच्चा इंसान बनाना
सीखिए।

ए आसमां तू देखना सहनशीलता
तू ना बरस कोई बात नहीं
अपने अक्स से प्यास को बुझाना
सीखिए।

एक चिंगारी है आपके
अंदर उसको भड़का कर शोला बनाना
सीखिए।

लम्हों में खुद को बांटना
और
हर लम्हों में मुस्कुराना
सीखिए ।
  Arjuna Bunty


लौट जा बन्दे ।

लौट जा बन्दे ।


खुशी चाहो जितना
ना मिलेगी इस कदर
कि लौट जा बंदे
अपने घर के रास्ते
अपनों के वास्ते ।
*
खुद निसार हो गया
एक खुशी के लिए
कि अब यहां ना कोई है
मेरे वास्ते ।
कैसे लौट जाऊं मैं
अपने घर के रास्ते
अपनों के वास्ते ।
**

हर तरफ गमों के बादल
आसमां भी खींच लेता है आंचल
की अब लौट जा बंदे
अपने घर के रास्ते
अपनों के वास्ते ।
***

रुकूं ना मैं कभी
चाहे आग जमीन भी उगले
कि अब यहां न कोई है
मेरे वास्ते ।
कैसे लौट जाऊं मैं
अपने घर के रास्ते
अपनों के वास्ते ।
****

जटिल है राह आगे की
कांटे बिछे हर तरह
की लौट जा बंदे
अपने घर के रास्ते
अपनों के वास्ते ।
*****

खुशनसीबी है मेरी
मेरे ही पाऊं जख्मी है
कि अब यहां ना कोई है
मेरे वास्ते ।
कैसे लौट जाऊं मैं
अपने घर के रास्ते
अपनों के वास्ते ।
******

चोटिल हुआ है इस कदर
जिसकी दवा है सिर्फ उधर
की लौट जा बंदे
अपने घर के रास्ते
अपनों के वास्ते।
*******

हर तरफ तन्हाई है
यादें फिर से आई है
लाऊंगा खुशी खोजकर
कि अब यहां ना कोई है
मेरे वास्ते ।
कैसे लौट जाऊं मैं
अपने घर के रास्ते
अपनों के वास्ते ।
********

खुशी चाहो जितना भी
ना मिलेगी इस कदर
कि लौट जा बंदे
अपने घर के रास्ते
अपनों के वास्ते ।
*********

वक्त नहीं अब पास भी
है ,अभी शुरुआत ही
कि लौट नहीं सकता कभी
घर के रास्ते, क्योंकि
अब वहां ना कोई है
मेरे वास्ते ।
कैसे लौट जाऊं मैं
अपने घर के रास्ते
अपनों के वास्ते ।
कि अब वहां न कोई है
मेरे वास्ते ।
**********
Arjuna Bunty.


बुधवार, 27 मई 2020

आत्महत्या क्यों?

आत्महत्या क्यों?

ये नीला ग्रह कितनी खूबसूरत है न, ये प्रकृति, ये जंगल, ये जीव, ये कायनात,और हम मानुष। कुदरत ने हर खूबसूरती दी है हमें, आपको भी रब ने कितना खूबसूरत बनाया है।
जितनी भी तारीफ की जाए कम है आप ने कई बार खुद को साबित भी किया है कि आप खूबसूरत है, आप ने कई बार ये भी साबित किया है कि आप आपनी ज़िम्मेदारियों को भी बहुत ही खूबसूरती से निभाते है।

हम इंसानों के पास बहुत कुछ स्पेशल है , हम जानते भी है पर कभी खुद को स्पेशल नहीं समझते, हम अक्सर भूल जातें है कि " मै" तब "हम " बोलते है जब हम अकेले होते है, यहां तो "हम" बोलते है यानि कि आप अकेले नहीं है। आप और आपके परिवार के लोग मिल कर ही "हम" बनाते है। इस "हम" में एक ना टूटने वाला विश्वाश छिपा है, जो हम जानते है कि कभी "मै" बेसहारा हो जाऊंगा तो ये परिवार के लोग मुझे सहारा जरूर देंगे। हां ये वही परिवार के लोग होंगे जिससे कभी मेरी नहीं बनती, जो कभी मुझे नहीं सुहाते, जो मुझे कभी अच्छा नहीं कहते जो हम से लड़तें है, झगड़ते है, कभी मेरी नहीं सुनते, आपस में तो कभी बनती ही नहीं उनसे। हां मगर प्यार तो वो एक दूसरे से करते है , थोड़ी जलन है, थोड़ा गुस्सा है, थोड़ी खालिश है, थोड़ा दूर है पर हम परिवार है।
और वो साथ देतें है प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष हो परिवार ही खरा होता है आपके बुरे दिनों में आपके साथ।
और आप स्वार्थ में इतने अंधे हो जाते है कि सिर्फ अपना सोचने लगते है खुद की सुनने लगते है कभी परिवार का नहीं सोचते ये भी नहीं सोचते जो आपके चाहने वाले है वो आपके बगैर कैसे रहेंगे।
आए दिन लोग खुदखुशी कर रहे है । हार मान जा रहे है जो कि कभी नहीं मानना चाहिए । ऊपर वाला हमे ये देखने के लिए problems देता है कि हम कितने मजबूत इरादों वाले है ।
वो आप के हौसला और आपके खुद के भरोसा पर ही आपको कठिन से कठिन चुनौतियां देता है।
वो जनता है, की कौन सा रोल रंगमंच पर कौन है जो बखूबी निभा सकता है, वो उम्दा कलाकार को ही उम्दा प्रदर्शन के लिए उम्दा रोल देता है। क्योंकि उसे मालूम है आप अदभूत प्रदर्शन करेंगे और अंत में आप सबका खूब प्यार पायेंगे।
आज तक आपका रोल आपसे बढ़िया कोई नहीं किया है ना ही कर सकता है। आप किसी के पिता, पति, चाचा, मामा, दादा, भाई, ताऊ, फूफा, बेटा, मा, बहन, चाची, मामी, बेटी, कितने ही रोल में आपने आप को देख सकते/सकती है। आप को ये अधिकार नहीं है कि आप अपने निजी स्वार्थ के लिए आत्महत्या जैसा बुजदिलाना हरकत करें। आप संबंध और ज़िम्मेदारी से पीछा नहीं छोड़ा सकते। ये आपको यहां जन्म लेने के पहले सोचना चाहिए।
हर समस्या का समाधान है, हां ये अलग बात है कि उसको बर्दास्त कैसे किया जाए। समय के साथ सब ठीक होता है, सारे नियम कानून हम खुद से बनाए है वो टूट भी सकते है।
१. जब कभी भी आप खुद में खुद को कमज़ोर पाए तो सबसे पहले अपने मां, पिता, या उन्हें जरूर बताएं जिसके बारे में लगता हो की वो आपको समझता है, आपका विश्वास के लायक है।
२. आपको लगे की आपकी जीने की इच्छा खत्म होती जा रही है तो एक बार अपनी सबसे अनमोल रिश्ते के बारे में सोचे की वो अापके बगैर कैसे रहेंगे। क्या आप धोखा देकर किसी रिश्ता को खुद को माफ कर सकेंगे।
३. कभी अकेले ना रहें जब भी आपको परेशानी महसूस हो।
किसी की बात आपके दिल को ठेस पहुंचाई है तो बात को भूलने का प्रयास करना चाहिए।
और अगर बात जरूरी है तो उस इंसान को भूलने का प्रयास करना उचित होगा इग्नोर करना सीखें।
४. जो लोग आपको प्यार करते है उनके साथ समय दें, उनसे कोई भी बात ना छुपाए, चाहे वो कोई ,और किसी तरह की बात क्यों ना हो।
५. आपको लोक लज्जा का भय हो तो खुद को परिवार के साथ जोर कर रखें और खुद पर भरोसा करना सीखें। रास्ता कोई तो जरूर ही होगा आत्महत्या किसी भी बुरी समस्या का समाधान नहीं हो सकता।
६. खुश रहना सीखें, कोई इंसान हमेशा नकारात्मक विचारों को आपके सामने रख रहा हो तो उससे दूर रहने का प्रयास करें उसके किसी बात को दिल पर न लें।
७. कोशिश करना सीखें और हर परिस्थिति में खुद को संभालने का हौसला रखें।
८. निडर बने आप से बड़ा कोई तुर्रम खान नहीं है, आपके अंदर प्रबल शक्ति है आप पत्थर चिर कर रास्ता बना सकते है उससे बड़ा मुश्किल कोई काम नहीं होता।
९. जो चाहते है उसको हासिल करने के लिए मेहनत करें, खुद को हमेशा मोटिवेट करें।
१०. और समय का इंतजार करें , जुबान की मार से ज्यादा चोट समय की मार की होती है।

आप के उचित मार्गदर्शन का एक छोटा सा प्रयास , जीवन में आगे बढ़ते रहे , हर परिस्थिति, हर समस्या का सामना करने की ऊपर वाला आपको दृढ़ इच्छाशक्ति दे।
समय देकर पढ़ने के लिए आपका आभार।


Arjuna Bunty.


बुधवार, 20 मई 2020

**स्वशिक्षा**Part १

**स्वशिक्षा**
Part १


प्रिय पाठकों,
आज मै आप सबके सामने स्वशिक्षा की मदद से हिंदी साहित्य में, उपयोगी जानकारी  को आप लोगों के साथ साझा कर रहा हूं।
ये आज का अंक आपको कैसा लगा इससे सम्बंधित सुझाव आप मेरे साथ जरूर साझा करें ।
धन्यवाद्।

आज के अंक में हम निम्न बातें जानेंगे ।
1. गज़ल क्या है ?
2. बहर क्या है ?
3. मिसरा क्या है ?
4. शे‘र क्या है ?
5. काफ़िया क्या है ?
6. रदीफ़ क्या है ?
7. मतला क्या है ?
8.  मक्ता क्या है ?

तो दोस्तों आज के अंक की शुरुआत करता हूं -

1. गज़ल क्या है ?

ग़ज़ल पर्शियन और अरबी भाषाओं से उर्दू में आयी। ग़ज़ल का मतलब हैं औरतों से अथवा औरतों के बारे में बातचीत करना। यह भी कहा जा सकता हैं कि ग़ज़ल का सर्वसाधारण अर्थ हैं माशूक से बातचीत का माध्यम।
लेकिन जैसे जैसे समय बीता ग़ज़ल का लेखन बदला, विस्तृत हुआ और अब तो ज़िंदगी का ऐसा कोई पहलू नहीं हैं जिस पर ग़ज़ल न लिखी गई हो।
गज़ल एक ऐसी विधा है जिसके लिए कुछ नियम बने हुए हैं, उन नियमों को ध्यान में रखें बिना हम कभी भी गज़ल नहीं लिख सकते।

ग़ज़ल शेरों से बनती हैं। हर शेर में दो पंक्तियां (मिसरा) होती हैं। शेर की हर पंक्ति को मिसरा कहते हैं। ग़ज़ल की ख़ास बात यह हैं कि उसका प्रत्येक शेर अपने आप में एक संपूर्ण कविता होता हैं और उसका संबंध ग़ज़ल में आने वाले अगले पिछले अथवा अन्य शेरों से नहीं होता।

अर्थात, किसी ग़ज़ल में अगर 10 -12 शेर हों तो यह कहना ग़लत न होगा कि उसमें 10 -12 स्वतंत्र कविताएं हैं।

2. बहर क्या है ?
ग़ज़ल की सबसे छोटी इकाई को बहर कहा जाता है। बहर गजल का आधार होती है। बहर मात्राओं से बना हुआ एक मीटर है जिसके आधार पर गज़ल का हर मिसरा यानि हर पंक्ति लिखी जाती है।

बहर, वज़्न या मीटर (meter)शेर की पंक्तियों की लंबाई के अनुसार ग़ज़ल की बहर नापी जाती हैं। इसे वज़्न या मीटर भी कहते हैं।

बोलचाल की भाषा में सर्वसाधारण ग़ज़ल तीन बहरों में से किसी एक में होती हैं-
१. छोटी बहर- अहले दैरो-हरम रह गये।
                     तेरे दीवाने कम रह गये। ।

२. मध्यम बहर–उम्र जल्वों में बसर हो यो ज़रूरी तो नहीं।
                        हर शबे-गम की सहर हो ये ज़रूरी तो नहीं। ।

३. लंबी बहर-
ऐ मेरे हमनशीं चल कहीं और चल इस चमन में अब अपना गुज़ारा नहीं।
बात होती गुलों की तो सह लेते हम अब तो कांटो पे भी हक़ हमारा नहीं। ।

नोट:-
हासिले-ग़ज़ल शेर-ग़ज़ल का सबसे अच्छा शेर ‘हासिले-ग़ज़ल शेर’ कहलाता हैं।
हासिलें-मुशायरा ग़ज़ल-मुशायरे में जो सब से अच्छी ग़ज़ल हो उसे ‘हासिले-मुशायरा ग़ज़ल’ कहते हैं।

गज़ल के लिए कुल 32 मुख्य बहर मानी जाती है, बहर ही एक ऐसा माध्यम है जिससे एक गजलकार बेहतरीन ग़ज़ल का निर्माण करता है।

गजल के लिए मूख्य 32 बहर के मात्रा भार निम्नलिखत है-

1. 1222 1222 1222 1222
2. 2122 1212 22
3. 11212 11212 11212 11212
4. 1212 1122 1212 22
5. 221 2122 221 2122
6. 221 2121 1221 212
7. 122 122 122
8. 122 122 122 122
9. 122 122 122 12
10. 212 212 212
11. 212 212 212 2
12. 212 212 212 212
13. 1212 212 122 1212 212 22
14. 2212 2212
15. 2212 1212
16. 2212 2212 2212
17. 2212 2212 2212 2212
18. 2122 2122
19. 2122 1122 22
20. 2122 2122 212
21. 2122 2122 2122
22. 2122 2122 21222 212
23. 2122 1122 1122 22
24. 1121 2122 1121 2122
25. 2122 2122 2122 2122
26. 1222 1222 122
27. 1222 1222 1222
28. 221 1221 1221 122
29. 221 1222 221 1222
30. 212 1222 212 1222
31. 212 1212 1212 1212
32. 1212 1212 1212 1212

3. मिसरा क्या है ?
ग़ज़ल में लिखी जानी वाली हर लाइन या पंक्ति मिसरा कहलाती है। गजल का हर मिसरा बहर में लिखा जाता है। मिसरे का साधारण अर्थ पंक्ति ही होता है।

4. शे‘र क्या है ?
ग़ज़ल में लिखे जाने वाले हर दो मिसरे के समूह को शे‘र कहते हैं।

शेर के पहले मिसरे को ‘मिसर-ए-ऊला’ और दूसरे को ‘मिसर-ए-सानी’ कहते हैं।

मत्ला-ग़ज़ल के पहले शे‘र को ‘मत्ला’ कहते हैं। इसके दोनों मिसरों में यानि पंक्तियों में ‘क़ाफिया’ होता हैं। अगर ग़ज़ल के दूसरे शे‘र की दोनों पंक्तियों में भी क़ाफिया हो तो उसे ‘हुस्ने-मत्ला’ या ‘मत्ला-ए-सानी’ कहा जाता हैं।

ग़ज़ल जो कि बहर में लिखी जाती है, जिसे नियमों के बिना नहीं लिखा जा सकता उसमें दो-दो पंक्तियों से जोड़े बनाकर ग़ज़ल को पूरा किया जाता है। दरअसल गजल की वही दो-दो पंक्तियां शे‘र कहलाती है।

नोट:-
इसे पढ़ने के बाद आप समझ जाएंगे कि गजल में ऐसे- ऐसे कई चरण हैं जिनका ज्ञान हमें होना चाहिए। क्योंकि जब तक आपको इसके बारें में जानकारी नहीं होगी आप उसे लिख नहीं पाओगे। ये जानकारी होने के बाद आपको मात्रा गिनना आना चाहिए ताकि आप मात्रा गिनकर शब्दों को बहर में व्यवस्थित तरीकें से लिख पाएं। मात्रा गणना इसलिए जरूरी है। क्योंकि हमें भावनाओं और शब्दों में सामंजस्य बनाके चलना होता है।

मात्रा गणना दोहा लिखना, रोला लिखना, ग़ज़ल आदि लिखने में सहायक होती है। हिंदी में छंद में दो तरह से रचनाएं लिखी जाती है।
1. पहली मात्रिक छंद में
2. दूसरी वर्णिक छंद में।
मात्रिक छंद में रचनाएं लिखने के लिए मात्रा गणना आना बहुत ही जरूरी होता है।

मात्राएं गिनने के लिए मात्राओ को दो भागों में बांटकर गिना जा सकता है -
पहला लघु और दूसरा दीर्घ।
लघु मात्राओं को 1 और दीर्घ मात्राओं को 2 गिनते हैं।

जैसे जितने भी सिंगल वर्ण होते हैं जिन पर कोई मात्राएं नहीं होती है उन्हें और छोटी मात्राओं से जुड़े वर्ण को 1 गिना जाता है।
जैसे- पवन में निम्नलिखित मात्राएं हैं-प-1 व-1न-1 यानि पवन में 111 का मात्रा भार है और कुल मात्राएं 3 होगी।

इसके अलावा बड़ी मात्राओं से जुड़े वर्णों को 2 गिना जाता है। इसके साथ ही अनुस्वार वाले वर्ण को भी 2 गिना जाता है।

जैसे - रीतिका शब्द में मात्राएं होगी- री-2 ति-1का-2 यानि  रीतिका शब्द में 212 का मात्रा भार है और कुल मात्राएं 5 होगी।

अब, मात्रा गणना में एक प्रश्न दिमाग में जरूर होता है कि अर्द्ध वर्णों को कैसे गिना जाता है।

अर्द्ध वर्ण को कैसे गिने-किसी भी शब्द में आए अर्द्ध वर्ण को शून्य माना जाता है। जैसे- प्यास शब्द में प्+या+स यानि 0+2+1 होगा। इसी तरह
 लघु वर्ण के बाद यदि अर्द्ध वर्ण आता है तो उस अर्द्ध वर्ण से पहला लघु वर्ण दीर्घ मात्रा यानि 2 गिनाता है। जैसे- अध्यापक शब्द में अ+ध्+या+प+क यानि 1+1+2+1+1 या 222 का मात्रा भार होगा।

5. काफ़िया क्या है ?
काफिया किसी भी शब्द के समान लय देने वाले शब्दों को कहा जाता है। जैसे हम इसे हमारी दो पंक्तियों से समझाने की कोशिश करते हैं-
ज़मीं भी आसमां लगने लगी है,
तू जब से मेरे साथ चलने लगी है...

आप इन पंक्तियों पर गौर करेंगे, तो आपको इन दोनों पंक्तियों में एक लय को कायम रखने वाले शब्द दिखाई दे रहे होंगे जो  बोलने में एक जैसे समान लगते हैं। ये दो शब्द लगने और चलने ही काफिया कहलाते हैं।
हम काफिया का यूज करके अच्छी से अच्छी और बेहतर से बेहतर रचनाएं लिख सकते हैं। बस आपको काफिया का सही से चुनाव करना आना चाहिए।
गाने से लेकर शायरी, तुकांत कविता,हिंदी की कई सारी विधाओं में, ग़ज़ल ये सभी लिखने के लिए काफिया और रदीफ की आवश्यकता होती है।

6. रदीफ़ क्या है ?
काफिया के तुरंत बाद आने वाले शब्द या शब्दों के समूह को ही रदीफ कहा जाता है।

ज़मीं भी आसमां लगने लगी है,
तू जब से मेरे साथ चलने लगी है...

आप देख सकते हैं कि आपके सामने दो पंक्तियां है जिनमें काफिया के बाद दोनों पंक्ति में कुछ शब्दों का समूह ‘‘लगी है‘‘ आया है, इसे ही रदीफ कहते हैं।

अब आपके मन में ये प्रश्न होगा कि ये दोनों पंक्ति में एक जैसा क्यों है, जबकि काफिया तो अलग-अलग हैं। ये भी उलझन  दूर कर देते हैं कि किसी भी रचना में यदि काफिया एक ही शब्द के लिए जा रहे हैं, तो उनमें कभी भी रदीफ बदला नहीं जाएगा। क्योंकि रदीफ कभी भी बदलता नहीं है केवल काफिया ही बदलता है।

एक बात विशेष तौर पर ये भी बता देते हैं कि आप केवल रदीफ से कोई रचना नहीं लिख सकते। लेकिन आप केवल काफिया से जरूर लिख सकते हैं।
1.किसी भी रचना में रदीफ हो और काफिया न हो, तो ये गलत होगा।
2.लेकिन किसी भी रचना में रदीफ नहीं और काफिया ही है, तो ये सही होगा।
3. कुछ ग़ज़लों में रदीफ नहीं होती। ऐसी ग़ज़लों को ‘ग़ैर-मुरद्दफ ग़ज़ल’ कहा जाता हैं।

7. मतला क्या है ?

गज़ल का जो सबसे पहला शे़‘र लिखा जाता है यानि जो गज़ल के सबसे पहले के दो मिसरे होते हैं, जिनकी दोनों पंक्तियों में काफ़िया रदीफ़ होता है वही मतला कहलाता है।

किसी भी गज़ल में मतला नहीं होने पर वो गज़ल केवल एक सामान्य रचना ही होती है। गज़ल का सौंदर्य मतले पर निर्भर करता है। जैसे एक गज़ल का मतला इस प्रकार है-

ज़मीं पर हो गई नफ़रत ज़मीं पर कम मुहब्बत है,
नकाबों से ही दिखती कातिलों में भी शराफ़त है...

इस मतले के दोनों मिसरों यानि पंक्तियों पर ध्यान दीजिए दोनों पंक्तियों में काफ़िया और रदीफ़ मुहब्बत है और शराफ़त है का प्रयोग किया गया है। सही मायने में यही एक मतला होता है।

आप तो जानते हैं कि मतले के बाद जो भी हम गज़ल के शे‘र लिखते हैं उनमें हम पहले मिसरे में काफ़िया रदीफ़ नहीं लेते हैं और उसकी दूसरी पंक्ति में लेते हैं। जैसे-

हजारों बेगुनाहों को नहीं इंसाफ मिल पाया,
नया ना साल मन पाए कयामत ही कयामत है...

आप देख सकते हैं गज़ल के पहले शे‘र में काफ़िया रदीफ़ मुहब्बत है और शराफ़त है था और अब अगले शे‘र की पहली पंक्ति में ना होकर दूसरी पंक्ति में कयामत है काफ़िया रदीफ़ प्रयोग किया गया है। इसके बावजूद अगर हम गज़ल का दूसरा शे‘र ये ना लिख करके वापस एक और मतला लिख देते हैं। जैसे-

सुनो कुछ खास रब से आज हमारी ये शिकायत है,
नया ना साल मन पाए कयामत ही कयामत है...

तो इसे हम हुस्न ए मतला कहते हैं। इसके अलावा आप और आगे मतला लिखते हैं तो उन्हें हम मतला ए सानी कहते हैं।

8. मक्ता क्या है ?
ग़ज़ल में लिखा गया अंतिम शे‘र जिसमें गजलकार का नाम हो, उसे ही मक्ते का शे‘र यानि मक्ता कहा जाता है।
मक्ता गजल के स्वरूप को सुंदर बनाता है। मक्ते का शे‘र लिखने से गजल अपने पूरे स्वरूप में नजर आती है।

मक्ते का शे‘र लिखने के लिए आपको मतला और गजल के बाकि शे‘र लिखकर पूरे करने होंगे।
उसके बाद आपको गजल का अंतिम शे‘र यानि मक्ता लिखना होगा। मक्ता आपको गजल के अन्य शे‘र की तरह ही लिखना होगा, बस इसमें एक बात का ध्यान रखना अनिवार्य होगा और वो ये कि आपको उसमें अपना नाम जरूर बताना होगा।

मक़्ता-ग़ज़ल के आखरी शेर को जिसमें शायर का नाम अथवा उपनाम हो उसे ‘मक़्ता’ कहते हैं। अगर नाम न हो तो उसे केवल ग़ज़ल का ‘आख़री शेर’ ही कहा जाता हैं। शायर के उपनाम को ‘तख़ल्लुस’ कहते हैं। निम्नलिखित ग़ज़ल के माध्यम से अभी तक ग़ज़ल के बारे में लिखी गयी बातें आसान हो जायेंगी।


कोई उम्मीद बर नहीं आती ।
कोई सूरत नज़र नहीं आती। । १

मौत का एक दिन मुअय्यन हैं । 
नींद क्यूं रात भर नहीं आती। । २

आगे आती थी हाले दिल पे हंसी ।
अब किसी बात पर नहीं आती। । ३

हम वहां हैं जहां से हमको भी ।
कुछ हमारी ख़बर नहीं आती। । ४

काबा किस मुंह से जाओगे ‘ग़ालिब’।
शर्म तुमको मगर नहीं आती। । ५


इस ग़ज़ल का ‘क़ाफिया’ बर, नज़र, भर, पर, ख़बर, मगर हैं। इस ग़ज़ल की ‘रदीफ’ “नहीं आती” है। यह हर शेर की दूसरी पंक्ति के आख़िर में आयी हैं। ग़ज़ल के लिये यह अनिवार्य हैं। इस ग़ज़ल के प्रथम शेर को ‘मत्ला’ कहेंगे क्योंकि इसकी दोनों पंक्तियों में ‘रदीफ’ और ‘क़ाफिया’ हैं। सब से आख़री शेर ग़ज़ल का ‘मक़्ता’ कहलाएगा क्योंकि इसमें ‘तख़ल्लुस’ हैं।

तो दोस्तों,
उम्मीद करता हूं आपको ये **स्वशिक्षा**
Part १ पसंद आई होगी।  आगे भी आप लेखन से जुड़ी जानकारियां चाहते हैं, तो आप कमेंट में बताएं।
धन्यवाद्।
Arjuna Bunty.


मंगलवार, 12 मई 2020

गरीब हूं साहब ।

गरीब हूं साहब
हमे गरीब ही रहने दो
दो वक़्त के भोजन को कमाता हूं
किसी का एहसान नहीं लेता
किसी की जान नहीं लेता
मेरा अपना ईमान है
किसी का वो भी नहीं होता ।

गरीब हूं साहब
हमे गरीब ही रहने दो
अपने परिवार की खातिर
शहर बदलता हूं
किसी का एहसान नहीं लेता
मेरा अपना धर्म है भूख का
किसी की धर्म पर उंगलियां नहीं उठाता।

गरीब हूं साहब
हमे गरीब ही रहने दो
हम आज में जीते है
हम भूख से मरते है, पर
किसी को झूठे सपने नहीं दिखाता
अपने बच्चों को भी भूखे सुलाता
पर कभी दूसरे का छीन कर ना दे पाता

गरीब हूं साहब
हमे गरीब ही रहने दो
दूसरे के लिए आशियाना बनाता हूं
किसी की छत नहीं उजाड़ता
हमारा अपना सम्मान है
किसी को झूठ नहीं कहता
किसी का छीन कर ना लाता।

गरीब हूं साहब
हमे गरीब ही रहने दो
हम पढ़े लिखे भी होते तो
किसी को ना बताता
परिवार की खातिर
क्या क्या ना कर जाता
पर साहब, किसी का तमाशा ना बनाता।

गरीब हूं साहब
हमे गरीब ही रहने दो।
गरीब हूं साहब
हमे गरीब ही रहने दो।।
Arjuna Bunty.


शनिवार, 9 मई 2020

चले आना

चले आना।




जब भी मिले वक्त
चले आना
महफिल सजाने को ।
रुला दे कभी कोई तुम्हें
आ जाना मुस्कुराने को ।
गर बहाना कोई ढूंढ ना सको
मेरी खुशी का वास्ता है,तुम्हें
बस एक बार
चले आना
अपना दीदार कराने को ।
रोकेगा जमाना तुम्हें
रितियों का वास्ता देकर
कई बेड़ियां लगाएंगे
पैरों में रुकना नहीं
चले आना
मुझको मनाने को।
उस अंतिम घड़ी में
बस एक बार
चले आना
अपनी याद दिलाने को।
महसूस होगी कमी मेरी ,
उस वक्त
जब कोई ना होगा मनाने को।
तुम्हारी खुशी की खातिर
अपनी खुशियां मिटाने को ।
जब मिले वक्त
चले आना
महफिल सजाने को।
देखकर मुर्दों की तरह पड़ा हुआ
गम ना करना मेरे जाने को।
बहाना कोई नेक बनाना
गम को छुपाने को।
मेरी खुशी का वास्ता है,
तुम्हें, बस एक बार
चले आना
अपना दीदार कराने को।
मुझको मनाने को।
अपनी याद दिलाने को।
महफिल सजाने को ।
Arjuna Bunty.


कितना प्यार करते हैं।

कितना प्यार करते हैं।


बड़ी मासूमियत से वो
हमसे इजहार करते हैं
हम तुम्हें ना जाने
कितना प्यार
करते हैं।

नजर का सितम भी
क्या खूब लगता है
नजर को नजर से
मिलाते नहीं और
हम पर ऐतबार
करते हैं ।

सच तो ये है ,दोस्तों
डर इस बात का नहीं
कि वो हमें चाहते हैं
डर इस बात का है
कहीं हम उनको न, प्यार
करते हैं ।

उम्र का काम है ,
वो बीत जाया करता है
पर दिल तो बच्चा है
हम दिल से आजमाया
करते है।

यूं तो हम बेफिक्र रहने वालों में से हैं,
पर ना जाने क्यों होंठ,
आज भी लड़खड़ाया
करते हैं।

उनकी आवाज की मासूमियत
और खनक का क्या कहूं
अकेले में जब भी वो
मेरा नाम गुनगुनाया
करते हैं।

बड़ी मुश्किल सी होती है
निगाहों को मिलाने में
कि अक्सरहा दिल लगाने पर
दिल टूट जाया
करते हैं ।

यूं तो मोहब्बत का
अलग सा मज़ा होता है
बड़ी संगदिली से लोग
दूसरे को छोड़ जाया
करते हैं ।
Arjuna Bunty


रविवार, 3 मई 2020

दो सवाल?

दो सवाल?


प्रिय मित्रों,
मै कोई बहुत प्रतिष्ठित प्राणी तो नहीं हूं इस कायनात का पर यहां जो भी मैंने आपको बताया है वो मेरा गहन अध्ययन ही है अगर कोई बात अंदर तक लगती है तो लगने देना जब तक अन्दर स्वाभिमान और आत्मा को ना झकझोर दे वो बात दिल तक नहीं जाती। बस दो सवाल की बात है -
लक्ष्य पाने के लिए आपका , दो सवाल खुद से करना बहुत जरूरी है ।
1. क्यों ?
2. कैसे ?
जी हां दोस्तों यही,
क्यों ? आपको हर वक़्त लक्ष्य के बीच आने वाली रुकावटों से लड़ने की क्षमता या शक्ति को बढ़ाने में सहायक होगा। आप जब- जब थक जायेंगें और जब आप टूट जाएंगे तब - तब ये क्यों ही आपको उठ कर फिर से लड़ने का सामर्थ देगा ।
और कैसे? ये ही आपको जीत तक ले जाने में आपकी रणनीति को , आपके किए प्रयास के बारे में बताएगा की वो  कामयाब था या फिर नहीं था? और कितना कामयाब था , कैसे और कामयाब आप उसको बना सकते है।
लक्ष्य को पाने के लिए मेहनत तो सभी करते है, पर ये मेहनत सही दिशा में हो, ये ध्यान रखना बहुत जरूरी है, और ये आपको कोई सक्सेसफुल पर्सन कभी नहीं बता सकता । जो हरता है उसके पास अनुभव होता है, गुरु और  शिष्य में जितना का अंतर होता है, बस इतना सा ही अंतर हार और जीत का होता है ,और इतना ही अंतर जीतने वाले और हारने वाले के बीच भी होता है।
हा मगर ये बात भी ध्यान में रखना बहुत जरूरी है कि वो कोशिश लगातार , निरंतर चलते रहने वाला होना चाहिए, जो रुके तो हो सकता है आप बहुत पीछे चले जाओगे।
जीवन बहुत कठिन है उनके लिए जिनका कोई लक्ष्य होता है और लक्ष्य बड़ा हो तो फिर जीवन में कठिनाइयों का लेवल आपके PUBG के लेवल से भी ज्यादा होता है।
बहुत से लोग तो ये समझ ही नहीं पाते कि शुरुआत कैसे हो, यदि आप एक अनुभवहीन है तो मेरे तरफ से आपके लिए इससे बेहतरीन लेख हो ही नहीं सकता -
सबसे पहले कुछ पल शांत होकर बैठ कर ये विचार करें कि आपका जीवन आपके परिवार के सदस्यों के लिए कितना कीमती है , आप क्या दे सकते है अपने तरफ से  परिवार, समाज, राज्य, और इस देश को। कोई एक लक्ष्य जरूर आपको दिखेगा बस इस लक्ष्य को ही अपनी हथेली की लकीरों में आपको अपनी मर्जी से सजाना है । फिर क्या वहीं दो सवाल कीजिए ,अपने आप से
क्यों पाना है ये लक्ष्य ?
जवाब बहुत सारे होंगे यकीन मानिए काफी दिलचस्प जवाब होंगे आपके पास और उस वक़्त आपकी आंखों में बहुत ही कीमती मोती बाहर की तरफ रास्ता बना रहे होंगे। यही क्यों का जवाब आपको आपके लक्ष्य तक ले जाएगा।
अब आपको दूसरा सवाल करना है,
कैसे पहुंचना है लक्ष्य तक?
इसका जवाब भी रोचक होगा आपके लिए क्योंकि आप पहली बार  एक साथ  परिवार, समाज, राज्य, और इस देश के बारे में सोच रहे है जिसको आप अपना कुछ खुशी खुशी दे रहे है।
इस सोच के साथ ही आपका नया जन्म हुआ है ।
अब लक्ष्य को पाने के लिए  आपको जो करना पड़े आप करेंगे यही से आपकी मुलाकात होगी त्याग से कुछ पाने के लिए बहुत कुछ त्यागना पड़ता है। आपको अपने अंदर की आग को धीरे धीरे बारूद बनाना पड़ेगा। इस लक्ष्य से जुड़े कोई एक आदर्श व्यक्ति को आदर्श मान कर आगे की ओर अग्रसर होने की कोशिश लगातार (निरंतर) प्रयासरत रहना पड़ेगा। ये इसलिए भी जरूरी है कि आपने एकलव्य के बारे में सुना होगा। अब एक प्लान तैयार करें कि उस लक्ष्य तक पहुंचने में क्या क्या रुकावट आपको आ सकती है। और उसका कैसे आपको मुकाबला करना है याद रहे एक बार जो ये शुरू हो गया तो बिना मंजिल को पाए ना थकना है  और ना रुकना है। जो भी कमी है उसका पता लगाइए और एक निश्चित समय सीमा में उस कमी को पूरा करने का दृढ़ निश्चय।
इच्छाशक्ति प्रबल होगी तो वो लक्ष्य आपके करीब होगा । इस अद्भुत क्षमता की घड़ी में आपको बहुत सारा धीरज की, त्याग की, जरूरत होगी कुछ नजंदाज करने की आदत भी विकसित करनी पड़ेगी । लोग आपका मजाक उड़ाएंगे , आपको पीठ पीछे गालियां देंगे , आपको परेशान करेंगे , आपको अपने लक्ष्य से भटकाने का प्रयास भी करेंगे , आपके ध्यान को बांटने का भी प्रयास करेंगे यही आपको सही /गलत का फैसला लेना पड़ेगा और जो गलत है उनका साथ छोड़ अपने कर्म पर आगे बढ़ना पड़ेगा ।
करम करता जा फल की चिंता मत कर इसे अनुसरण करना पड़ेगा , आप लक्ष्य तक पहुंचने में कई बार असफल होंगे, आपके ऊपर कई प्रकार की बाधाएं आएंगी और ये सिर्फ आपके हौसले और आपकी शक्तियों का परिचय लेने का भगवान की परीक्षा होगी। दरअसल वो ये देखना चाहते है इस पल की आप इस लक्ष्य के लायक है भी या नहीं, और इस  पल न तो आपको टूटना है और न ही रुकना उस असफलता का क्या कारण था पता लगा कर उसे सुधारना ही आपका एक मात्र उद्देश्य होना चाहिए।
कोई एक बार की गई गलती,  गलती नहीं होती बल्कि गलती का जान बुझ कर दुहराना ही गलती है। और यही आदत आपको लक्ष्य से दूर कर सकती है सावधान हर छोटी छोटी बातों का ध्यान रखें।
आपके इसी निरंतर प्रयासरत रहने कि वजह से आप एक दिन अपने लक्ष्य को हासिल करने में कामयाब होंगे।

और अनततः भगवान को वो लकीर आपकी हथेली पर आपकी मन मर्जी से सजानी पड़ेगी।

आपके जीवन को एक नई दिशा देने के लिए मेरा छोटा सा प्रयास।
अगर मेरा ये लेख किसी एक कि भी दुनिया बदलने में कामयाब हो जाए तो मै अपनी लेखनी का कर्ज उतारने में अपने आपको सफल मानूंगा।
आपका, आपके परिवार का कल्याण हो।
धन्यवाद।
Arjuna Bunty.


भरोसे का व्यापार:-

आग्रह। कृपया इस रचना को एकांत में समय देकर और आराम से पढ़े । भरोसे का व्यापार सुनो सुना है व्यापार गिरा है चलो अच्छा है आ...