शनिवार, 30 मई 2020

सीखिए।

सीखिए।


लम्हों में खुद को बांटना
और
हर लम्हों में मुस्कुराना
सीखिए ।

हर खुशी आपकी है
बस आप
उसे
पाना सीखिए।

वक्त गर आजमाता है
आपको
तो आप वक्त को आजमाना
सीखिए।

हर लम्हा उबाऊ सही
उस लम्हे को खुशी से सजाना
सीखिए।

क्या हुआ जो कुछ कमी रही
हर कमी में खुद को
संपूर्ण बनाना
सीखिए।

औकात बनती नहीं चार आनों से
उसे अपने हुनर से बनाना
सीखिए।

कई लोग हैं आपके चाहने वाले
उनको अपनी याद दिलाना
सीखिए।

एक बार खुद के लिए खुलकर जीना
और
दूसरों को जिंदादिल बनाना
सीखिए।

अपने अनुभव से जग को
लुभाना
खुद में खुद को एक सच्चा इंसान बनाना
सीखिए।

ए आसमां तू देखना सहनशीलता
तू ना बरस कोई बात नहीं
अपने अक्स से प्यास को बुझाना
सीखिए।

एक चिंगारी है आपके
अंदर उसको भड़का कर शोला बनाना
सीखिए।

लम्हों में खुद को बांटना
और
हर लम्हों में मुस्कुराना
सीखिए ।
  Arjuna Bunty


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

भरोसे का व्यापार:-

आग्रह। कृपया इस रचना को एकांत में समय देकर और आराम से पढ़े । भरोसे का व्यापार सुनो सुना है व्यापार गिरा है चलो अच्छा है आ...