सोमवार, 21 सितंबर 2020

भरोसे का व्यापार:-

आग्रह।


कृपया इस रचना को एकांत में समय देकर और आराम से पढ़े ।


भरोसे का व्यापार

सुनो
सुना है व्यापार गिरा है
चलो अच्छा है आदमी तो बच गया ।


रुपए का मोल तो न गिर गया

शुक्र है इंसान का मोल तो बच गया।


गिर गिर के कितना गिर गया है

जितने में इंसानियत तो बच गया।


वाह भाव चढ़ा क्या बाजार का

ओह, इंसानों का चढ़ गया ।


सुनो
सुना है व्यापार गिरा है
चलो अच्छा है आदमी तो बच गया ।

बेरोजगार ही अच्छा था, सुना
की औकात में था इज्जत बच गया।

जब से रुपया को हाथ लगाया है

सब कुछ तो कीमती सा हो गया।


रिश्ते, नाते, अपने, पराए, हाव भाव
ओह सब का सब बदल गया।

सुनो
सुना है व्यापार गिरा है
चलो अच्छा है आदमी तो बच गया ।

नकली और बनावटी तो है सबकुछ
समाज और परिवार का क्या गया।

इंसानियत गई ताख पर
रोजगार तो उबर गया।

चलो अच्छा है आदमी गिर गया


व्यापार तो चढ़ गया।

सुनो
सुना है व्यापार गिरा है
चलो अच्छा है आदमी तो बच गया ।
;Arjuna Bunty;

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