शुक्रवार, 3 अप्रैल 2020

भूमिका


                                            भूमिका

                                                : अर्जुन बंटी :


स्वागत है आपका,

साहित्य की एक अलग दुनिया में, यह एक अदभूत दुनिया है जहां आपको थोड़ा शुकून के पल और खुद से रूबरू होने का मौका भी मिलेगा।
दोस्तों ,
हर इंसान अपनी आशाओं को पूरा करना चाहता है, जिसे पूरा करने को वो हर असंभव प्रयास करता है शायद आप भी उन लोगों में शामिल हैं और एक दिन अपनी मंजिल तक पहुंच जाता है,
अगर आप में हुनर है तो कोई भी उसे दबा नहीं सकता। यहां तक कि गरीबी भी उसके आगे बौनी है। कभी  न कभी दुनिया आपके हुनर से रूबरू होती है। जिंदगी में किसी का हुनर जल्दी सामने आ जाता है, किसी के हुनर को सामने आने में थोड़ी देर लगती है। आप भी निरंतर प्रयासरत रहे मंजिल दूर हो सकती है पर मिलेगी जरूर।
आज के इस दौड़ में जहां किसी को फुर्सत के पल भी नसीब नहीं होते, वहीं हम और हमारी आने वाली पीढ़ी अपनी संस्कृति, संस्कार और साहित्य से दूर होते जा रहे है। हमारा प्रयास बस इतना ही होना चाहिए की हम अपनी आने वाली पीढ़ी को साहित्य उपहार के रूप में दे सके। जिसका एक छोटा सा प्रयास मेरे तरफ से साहित्य की ओर के रूप में है।
जिसके माध्यम से मैं आप लोगों के सामने अपनी कुछ रचना और साहित्य के कुछ पहलू को रखूंगा । प्रतिलिपि पर मेरी रचनाएं काफी सराहनीय रही और आपका प्यार बेहिसाब मिला इससे प्रेरणा पाकर मैंने ये निर्णय किया। आशा है यहां भी आपका प्यार बेहिसाब मिलेगा ।
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मेरी रचनाएं पढ़ने के लिए जो प्रतिलिपि पर  है आप से विशेष निवेदन है आप रचना पढ़ने के बाद वहीं रेटिंग और अपना कमेंट दें और अच्छी लगे तो और भी पाठकों को इससे जोड़े जो मुझे और भी अच्छा करने की प्रेरणा दे ।

दोस्तों, आशा करता हूं साहित्य की ओर का ये पहला अंक आपको अच्छा लगा होगा कृपया कमेंट के माध्यम से हमें अपने सुझाव जरूर बताएं। और इस पोस्ट को अपने परिजनों के साथ साझा करें ताकि जो साहित्य से दूर हो रहें हैं उनके जीवन में साहित्य का ये पुंज रोशनी प्रदान कर सके।
                                                   
                                                      धन्यवाद।।

4 टिप्‍पणियां:

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