मंगलवार, 12 मई 2020

गरीब हूं साहब ।

गरीब हूं साहब
हमे गरीब ही रहने दो
दो वक़्त के भोजन को कमाता हूं
किसी का एहसान नहीं लेता
किसी की जान नहीं लेता
मेरा अपना ईमान है
किसी का वो भी नहीं होता ।

गरीब हूं साहब
हमे गरीब ही रहने दो
अपने परिवार की खातिर
शहर बदलता हूं
किसी का एहसान नहीं लेता
मेरा अपना धर्म है भूख का
किसी की धर्म पर उंगलियां नहीं उठाता।

गरीब हूं साहब
हमे गरीब ही रहने दो
हम आज में जीते है
हम भूख से मरते है, पर
किसी को झूठे सपने नहीं दिखाता
अपने बच्चों को भी भूखे सुलाता
पर कभी दूसरे का छीन कर ना दे पाता

गरीब हूं साहब
हमे गरीब ही रहने दो
दूसरे के लिए आशियाना बनाता हूं
किसी की छत नहीं उजाड़ता
हमारा अपना सम्मान है
किसी को झूठ नहीं कहता
किसी का छीन कर ना लाता।

गरीब हूं साहब
हमे गरीब ही रहने दो
हम पढ़े लिखे भी होते तो
किसी को ना बताता
परिवार की खातिर
क्या क्या ना कर जाता
पर साहब, किसी का तमाशा ना बनाता।

गरीब हूं साहब
हमे गरीब ही रहने दो।
गरीब हूं साहब
हमे गरीब ही रहने दो।।
Arjuna Bunty.


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