शनिवार, 9 मई 2020

चले आना

चले आना।




जब भी मिले वक्त
चले आना
महफिल सजाने को ।
रुला दे कभी कोई तुम्हें
आ जाना मुस्कुराने को ।
गर बहाना कोई ढूंढ ना सको
मेरी खुशी का वास्ता है,तुम्हें
बस एक बार
चले आना
अपना दीदार कराने को ।
रोकेगा जमाना तुम्हें
रितियों का वास्ता देकर
कई बेड़ियां लगाएंगे
पैरों में रुकना नहीं
चले आना
मुझको मनाने को।
उस अंतिम घड़ी में
बस एक बार
चले आना
अपनी याद दिलाने को।
महसूस होगी कमी मेरी ,
उस वक्त
जब कोई ना होगा मनाने को।
तुम्हारी खुशी की खातिर
अपनी खुशियां मिटाने को ।
जब मिले वक्त
चले आना
महफिल सजाने को।
देखकर मुर्दों की तरह पड़ा हुआ
गम ना करना मेरे जाने को।
बहाना कोई नेक बनाना
गम को छुपाने को।
मेरी खुशी का वास्ता है,
तुम्हें, बस एक बार
चले आना
अपना दीदार कराने को।
मुझको मनाने को।
अपनी याद दिलाने को।
महफिल सजाने को ।
Arjuna Bunty.


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