रविवार, 5 अप्रैल 2020

नशा


प्रिय पाठकों,

हम इंसानों की एक बहुत ही खास आदत होती है, सच पूछिए तो हमें हर चीज की पहले पहल बुराई दिखती है, अच्छाई हमें दिखती ही नहीं या हम उसे देखना नहीं चाहते हैं , उसे हमें जबरदस्ती दिखानी पड़ती है । खैर , आज तक किसी ने नशा का सटीक और विस्तार से चर्चा नहीं की ।
मालूम नहीं मुझे नशा आखिर है क्या ? लेकिन, जो भी हो या तो बुरी, है या अच्छी है । बुराई और अच्छाई दोनों हमारे लिए मायने रखता है परंतु अगर हम उसकी अच्छाई देखते हैं तो शायद हमें जीना आ जाए ।
बिना नशे के दुनिया को देखने का मजा ही कुछ खास है , नशे में जो रंगीनियां दिखती है उसका हमेशा एक ही पहलू होता है धोखा, कलह, आंसू , दुख , पीड़ा, छल और न जाने क्या-क्या ?
परंतु ,
जब आपकी आंखों में नशा ना हो उसमें सपने हो तो इस दुनिया की रंगीनियत में सात रंग अलग-अलग मजेदार ढंग से दिखते हैं ।
जहां, सफेद रंग शांति, प्यार, सौहार्द्र को दिखाता है ,
काला रंग दुख , पीड़ा,  तकलीफ, क्लेश को ,
हरा रंग समृद्धि, हरियाली, जीत को उसी तरह
लाल रंग प्रेम को खतरा को
और इसी तरह सभी अपनी अपनी विशेषता को जाहिर करते हैं। हम इंसान हैं, हमें रंगों का विभेद स्पष्ट प्रतीत होता है इस धरती पर ज्ञान से परिपूर्ण हमें ईश्वर ने इसलिए बनाया है कि हम उसके हर रंग का अनुभव कर सकें उसका आनंद उठाएं और उसका सम्मान कर सके,  इसको जीवन में उतारें ।
नशा हमारी सोचने की शक्ति संकुचित कर देती है, मादक पदार्थ हमें हमसे छीन लेता है ।
दोस्त, मजा तो तब है जब जीवन में प्रेम, स्पर्श , दया,  दुख,  खुशी, लड़ाई, दर्द, तकलीफ, अलग-अलग प्रकार की चीजें हो ।
बुजदिल की तरह सर झुका कर जीने वालों में से हम नहीं , सुना है नशे में बोतल नाचती है, हमने नशा को बनाया है, हम नशे के आदी कैसे हो सकते हैं । कोई हमें भी नचा के दिखाए जरा , नशा इंसान को इंसान से दूर कर देती है। नशा हमें गुमनाम कर देती है, हमें बदनाम कर देती है ,अकेला ,कमजोर, असभ्य जानवर बना देती है।

अरे , बोतलों में क्या ढूंढते हो जिंदगी की खुशी
इसमें वह रास नहीं , जो तुम्हें दे सके खुशी,
रंगीन शराब की वो बिसात नहीं,
जिसको पीने से जिंदगी की कहानी बदल जाए ,
ऐसी कोई बात नहीं ,
एक पल के लिए तो मिलती है ,
पर जिंदगी की फिर वही से आगाज होती है ।

नशा ही करना है तो मंजिल पाने का नशा हो, किसी के प्रेम का नशा हो, दुनिया को बदलने का नशा हो, किसी को खुशी देने का नशा हो,  देश के लिए मर मिट जाने का नशा हो, दुनिया को अपने हुनर से दिमाग घुमा देने का नशा हो, तब मज़ा है नशे का। बेहोश होकर जिंदगी जीने से बेहतर है होश में रहकर हर रुकावट , हर संकट से हर मर्ज से डटकर लड़कर , जीतकर जीने में है।
अब तक नशा हमको आजमाती थी, आज से नशे को आजमाया जाए।

   (  Arjuna Bunty )


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