सोमवार, 6 अप्रैल 2020

चेहरा नजर आया है।


अहले सुबह उठकर

ये सुरूर जो छाया है

आज फिर से सपनों में

तेरा चेहरा नजर आया है।

पलभर को बस

ये खुमार छाया है

आज फिर से सपनों में

तेरा चेहरा नजर आया है।

तराश कर जिस तरह

रब ने तुझे बनाया है

सच तेरे दीदार को

मैंने खुद को ना जगाया है

क्योंकि तेरा चेहरा नजर आया है।

चमक तेरे तन की

तारों को इतना भरमाया है

की चांदनी देखकर

चांद  को बादलों ने छिपाया है

क्योंकि तेरा चेहरा नजर आया है।

अहले सुबह उठकर

ये सुरूर जो छाया है

आज फिर से सपनों में

तेरा चेहरा नजर आया है।

अर्जून बंटी

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