रविवार, 12 अप्रैल 2020

जिद थी।।

जिद थी,

यह  जिद थी हमारी

कि चांद को चुरा कर

अपने घर लाएंगे

सितारों को हम

दीवारों पर सजाएंगे

सूर्य से रातों में भी

ओवरटाइम करवाएंगे।
जिद थी,

यह जिद थी हमारी की

तकदीर यूं तो  भगवान बनाता है

हम अपनी तकदीर खुद बनाएंगे

हाथों की लकीरों को

बदलकर मनमर्जी सजाएंगे

जो दिल करेगा

बस वही करते जाएंगे।
जिद थी

यह जिद्द थी हमारी कि

वक्त का साथ ना मिला

तो क्या वक्त को हम

अपने कदमों तले लाएंगे

जब वक्त ना देगा साथ

उसको फिर से पीछे से

चलवांगें

रोक देंगे उन लगातार चलते

टिक टिक की धुन को

वहां हम कर्णप्रिय संगीत बजवांगे ।

जिद थी
ये जिद थी हमारी

कि जो पल बीत गए

उस पल को फिर से जिएंगे

जो अपने छोड़ गए

उनको फिर से यहां बुलाएंगे

जो रिश्ते टूट गए

वह रिश्ते बनाएंगे

यह जिद थी हमारी

की चांद को चुरा कर अपने घर लाएंगे ।
Arjuna Bunty


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