खुशी चाहो जितना
ना मिलेगी इस कदर
कि लौट जा बंदे
अपने घर के रास्ते
अपनों के वास्ते ।
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खुद निसार हो गया
एक खुशी के लिए
कि अब यहां ना कोई है
मेरे वास्ते ।
कैसे लौट जाऊं मैं
अपने घर के रास्ते
अपनों के वास्ते ।
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हर तरफ गमों के बादल
आसमां भी खींच लेता है आंचल
की अब लौट जा बंदे
अपने घर के रास्ते
अपनों के वास्ते ।
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रुकूं ना मैं कभी
चाहे आग जमीन भी उगले
कि अब यहां न कोई है
मेरे वास्ते ।
कैसे लौट जाऊं मैं
अपने घर के रास्ते
अपनों के वास्ते ।
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जटिल है राह आगे की
कांटे बिछे हर तरह
की लौट जा बंदे
अपने घर के रास्ते
अपनों के वास्ते ।
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खुशनसीबी है मेरी
मेरे ही पाऊं जख्मी है
कि अब यहां ना कोई है
मेरे वास्ते ।
कैसे लौट जाऊं मैं
अपने घर के रास्ते
अपनों के वास्ते ।
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चोटिल हुआ है इस कदर
जिसकी दवा है सिर्फ उधर
की लौट जा बंदे
अपने घर के रास्ते
अपनों के वास्ते।
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हर तरफ तन्हाई है
यादें फिर से आई है
लाऊंगा खुशी खोजकर
कि अब यहां ना कोई है
मेरे वास्ते ।
कैसे लौट जाऊं मैं
अपने घर के रास्ते
अपनों के वास्ते ।
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खुशी चाहो जितना भी
ना मिलेगी इस कदर
कि लौट जा बंदे
अपने घर के रास्ते
अपनों के वास्ते ।
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वक्त नहीं अब पास भी
है ,अभी शुरुआत ही
कि लौट नहीं सकता कभी
घर के रास्ते, क्योंकि
अब वहां ना कोई है
मेरे वास्ते ।
कैसे लौट जाऊं मैं
अपने घर के रास्ते
अपनों के वास्ते ।
कि अब वहां न कोई है
मेरे वास्ते ।
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Arjuna Bunty.
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